Chalati Raho Naina

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Artikel-Nr:
9789353248505
Veröffentl:
2019
Seiten:
173
Autor:
Sonali Garg
eBook Typ:
EPUB
Kopierschutz:
Adobe DRM [Hard-DRM]
Sprache:
Englisch
Beschreibung:

मैं तुम्हें यही समझाना चाहती हूँ कि नव्या तो सबकी आँखों के आगे मारी गई, पर मुझ जैसी कितनी ही नव्याएँ अंदर ही अदंर रोज़ मर रही हैं। वे अंदर भी लड़ रही हैं, बाहर भी। उनकी लड़ाई में साथ देने वाला कोई नहीं, क्योंकि उनके अपने ही प्रतिद्वंद्वी पाले में खड़े हैं। उनकी लड़ाई शायद इतिहास से भी अछूती रह जाए, क्योंकि व्यक्तिगत संघर्ष कभी सुनहरे पन्नों पर नहीं लिखे जाते। अस्तित्व की लड़ाई अंदर - बाहर, दोनों ओर से झिंझोड़ती है। लड़ाई की थकान जीवन को कभी हराती है, कभी आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। जहाँ लड़ाई खत्म, वहाँ जीवन भी शेष होता नज़र आता है। नारी की लड़ाई उसे थकाती अवश्य है, पर समाज को उसके दुरूह सत्यों से अवगत भी कराती है। उन्हीं सत्यों की खोज में, इन कहानियों के नारी पात्र, रचते हैं अपने जीवन के सूत्र। जो सत्य को पा जाए, वही सफल।

मैं तुम्हें यही समझाना चाहती हूँ कि नव्या तो सबकी आँखों के आगे मारी गई, पर मुझ जैसी कितनी ही नव्याएँ अंदर ही अदंर रोज़ मर रही हैं। वे अंदर भी लड़ रही हैं, बाहर भी। उनकी लड़ाई में साथ देने वाला कोई नहीं, क्योंकि उनके अपने ही प्रतिद्वंद्वी पाले में खड़े हैं। उनकी लड़ाई शायद इतिहास से भी अछूती रह जाए, क्योंकि व्यक्तिगत संघर्ष कभी सुनहरे पन्नों पर नहीं लिखे जाते। अस्तित्व की लड़ाई अंदर - बाहर, दोनों ओर से झिंझोड़ती है। लड़ाई की थकान जीवन को कभी हराती है, कभी आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। जहाँ लड़ाई खत्म, वहाँ जीवन भी शेष होता नज़र आता है। नारी की लड़ाई उसे थकाती अवश्य है, पर समाज को उसके दुरूह सत्यों से अवगत भी कराती है। उन्हीं सत्यों की खोज में, इन कहानियों के नारी पात्र, रचते हैं अपने जीवन के सूत्र। जो सत्य को पा जाए, वही सफल।

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